रेलवे इंजनों को सुरक्षा कवच दिया जाता है ताकि लोको पायलट की गलती या तकनीकी त्रुटि से एक ही पटरी पर दो ट्रेनों के आने से दुर्घटनाएं न हों। इस वर्ष दिल्ली मंडल अपने 150 इंजनों को सुरक्षा कवच से सुसज्जित करेगा। इसे पहले यात्री ट्रेन (Train News) के इंजन में स्थापित किया जा रहा है। यह सुविधा बाद में मालगाड़ी के इंजन में भी उपलब्ध होगी। उस महीने, रेल मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे को टक्कर रोधी स्वदेशी उपकरण कवच 4.0 से युक्त करने का काम तेजी से चल रहा है।
देश में इस समय लगभग 20 हजार रेलवे इंजन हैं। दो वर्षों में इन सभी इंजनों में कवच लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दो वर्षों में लगभग नौ हजार किलोमीटर ट्रैक पर भी कवच उपकरण लगाने का लक्ष्य है। दिल्ली मंडल के अधिकारियों ने बताया कि गाजियाबाद इलेक्ट्रिक लोको शेड में यह काम चल रहा है।
65 इंजनों में अब तक सुरक्षा कवच लगाया गया है। इस वित्त वर्ष में 85 और इंजनों की मरम्मत की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि लोको पायलट को किसी भी कारण से ब्रेक लगाने में असमर्थ होने पर कवच उपकरण ट्रेन की गति को धीमी करेगा और स्वचालित ब्रेक लगाने में मदद करेगा।इससे खराब मौसम में भी सुरक्षित ट्रेन चलाना संभव होगा। लेवल क्रॉसिंग पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कई सुविधाएं हैं, जैसे नियंत्रण कक्ष से निगरानी और ट्रेन के पहुंचने पर स्वचालित हार्न बजना।
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