दिल्ली : चोरी हुई बाइक पुलिस 6 दिन में ढूंढ नहीं पाई, राहगीरों ने चंद मिनटों में कर दिया काम

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पुलिस काम नहीं करना चाहती, जब आप नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के न्यू उस्मानपुर थाना क्षेत्र की घटना को जानेंगे, आपके मन में भी यह प्रश्न उठेगा। सिग्नेचर ब्रिज के पास पुलिस चौकी को कुछ दिन पहले चोरी की एक बाइक मिली। पुलिस ने चेन बंद करके बाइक को मेन रोड पर खड़ा कर दिया। एक राहगीर ने अपने जानकार की मदद से एक बाइक की जानकारी निकालकर उसके मालिक को खोज निकाला। दरियागंज पुलिस ने बाइक को पकड़ लिया। कोर्ट से आवश्यक दस्तावेजों को पूरा करने के बाद बाइक मालिक को सौंप दी जाएगी।मगर सवाल यह है कि जब इतने दिन से बाइक पुलिस के पास थी, तो वो उसके मालिक से संपर्क क्यों नहीं कर पाई।शिव विहार निवासी २४ वर्षीय भूपेन्द्र कुमार ने बताया कि २२ अगस्त को दरियागंज क्षेत्र से उनकी बाइक चोरी हो गई थी। वह वहां किताब को वितरित करने गया था। मात्र एक मिनट में दो लोगों ने उनकी बाइक चोरी कर ली। वह दरियागंज थाने पहुंचे जब बाइक नहीं मिली। पुलिस ने ई-एफआईआर बनाया। अगले दिन, मैंने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, तो दो लोगों को बाइक पर चलते हुए देखा। पीड़ित को बताया गया कि अगर हमें कुछ पता चलेगा तो आपको बता देंगे। पुलिस ने उन्हें कोई फोन नहीं किया। भूपेंद्र ने दो दिन के अंतराल में जांच अधिकारी को दो बार फोन करके बाइक के बारे में पूछा।मगर उन्हें यही जवाब मिला कि अभी कुछ नहीं पता चला है, जैसे ही कुछ पता चलेगा, हम तुम्हें बता देंगे।कल दोपहर करीब एक बजे भूपेंद्र को एक अज्ञात नंबर से फोन मिला। कॉलर ने बताया कि उनकी बाइक का नंबर था और पूछा कि क्या यह आपकी है। श्रीकृष्ण ने हां में उत्तर दिया। उन्हें फिर बताया गया कि आपकी बाइक सिग्नेचर ब्रिज से कुछ दूर पुलिस चौकी के पास खड़ी है। भूपेंद्र ने दरियागंज थाने के जांच अधिकारी को तुरंत जानकारी दी। पुलिस के साथ वे चौकी के पास पहुंचे। कॉलर भी वहीं था। पुलिस ने जांच की तो पता चला कि चौकी के पुलिसकर्मी करीब छह दिन पहले यह बाइक यहां लेकर आए थे। दरियागंज पुलिस ने चौकी अधिकारियों से संपर्क किया और बाइक पर दरियागंज थाने पहुंचे।राहगीर ने कहा कि वह उसी मार्ग से आते हैं। वह बाइक को कई दिनों से एक ही स्थिति में खड़ा देख रहे थे। कल, उन्होंने संदेह होने पर अपने एक जानकार से संपर्क किया। थोड़ी देर में, जानकार ने बाइक के मालिक का नंबर निकालकर उन्हें दे दिया। उसकी मदद से ही वह भूपेंद्र से संपर्क कर सका। अब पुलिसवालों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वे छह दिन तक एक राहगीर की तरह काम क्यों नहीं कर पाए? अगर वह अपने मालिक से संपर्क नहीं कर पाया, तो उन्होंने पुलिस रिकॉर्ड से बाइक चोरी की जानकारी क्यों नहीं देखी? अगर वह डिटेल खंगालते, तो उन्हें पता चल जाता बाइक किसकी है और कहां से चोरी हुई है।नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी घटना से हैरान हो गए। उनका कहना है कि लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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