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बंगाल के अपराजिता बिल के तहत  दुष्कर्मी को मिलेगी फांसी; यह बीएनएस-पॉक्सो से कैसे अलग?

कोलकाता: मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा, जो राज्य के लिए नियम बनाने वाले नेताओं के एक बड़े समूह की तरह है, ने एक नए महत्वपूर्ण नियम पर सहमति व्यक्त की, जिसका नाम है बलात्कार विरोधी विधेयक। इस नियम के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को बुरी तरह से चोट पहुँचाता है और वह व्यक्ति या तो मर जाता है या गहरी नींद में चला जाता है और फिर कभी नहीं उठ पाता है, तो उस व्यक्ति को मृत्युदंड मिल सकता है, यानी उसे अपने किए की वजह से अपनी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। इस नए नियम के बारे में चर्चा के दौरान पश्चिम बंगाल की नेता ममता बनर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री और कुछ अन्य जैसे अन्य महत्वपूर्ण नेताओं को पद छोड़ देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने महिलाओं को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त मजबूत नियम नहीं बनाए हैं। आइए इस नए नियम के बारे में और जानें!

पहले जानिए विधेयक का नाम क्या है?
इस विधेयक का नाम ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक’ है। इसका लक्ष्य महिलाओं और बच्चों को बलात्कार और अन्य अपराधों जैसी बुरी चीज़ों से सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए नए नियम बनाना है। यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उन्हें बेहतर सुरक्षा मिले।

क्यों लाया गया विधेयक?
कोलकाता के एक अस्पताल में एक महिला डॉक्टर को बहुत गंभीर चोट लगी और उसकी मौत हो गई, और लोगों को 9 अगस्त को इस बारे में पता चला। इससे बहुत से लोग बहुत दुखी हुए, और पूरे देश में डॉक्टर यह दिखाने के लिए बाहर निकल पड़े कि वे नाखुश हैं। अभी, बंगाल में डॉक्टर निष्पक्षता और न्याय की मांग कर रहे हैं। क्योंकि बहुत से लोग विरोध कर रहे हैं, इसलिए सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए एक नया कानून बनाने और इस पर चर्चा करने के लिए दो दिनों की विशेष बैठक करने का फैसला किया।

विधेयक का मकसद?
यह विधेयक पश्चिम बंगाल में कुछ नए कानूनों में बदलाव करना चाहता है ताकि महिलाओं और बच्चों की बेहतर सुरक्षा हो सके। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब उनके साथ कोई भयानक घटना घटे, तो पुलिस जल्दी से जल्दी जांच कर सके और उन बुरे कामों को करने वाले लोगों को जल्द से जल्द सज़ा मिले।

पहले भी किन-किन राज्यों ने ऐसा किया?
कुछ समय पहले, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में कानून बनाने वाले लोगों के समूहों ने फैसला किया था कि अगर कोई व्यक्ति बहुत बुरा काम करता है, जैसे किसी को बहुत बुरी तरह से चोट पहुँचाना, तो उसे सबसे बुरी सज़ा दी जा सकती है, जो कि मौत है। लेकिन अभी, जिस व्यक्ति को इस फैसले से सहमत होना चाहिए, उसने अभी तक हाँ नहीं कहा है।अब आगे क्या होगा?
तृणमूल कांग्रेस नामक एक राजनीतिक पार्टी ने अपराजिता विधेयक नामक एक नए कानून को बंगाल विधानसभा से मंजूरी दिलवाई और कुछ अन्य पार्टियों ने भी उनकी मदद की। लेकिन इस कानून को वास्तव में लागू करने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति दोनों की मंजूरी की जरूरत है। अपराध से जुड़े कानून खास होते हैं क्योंकि वे हर राज्य में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन नए कानून के काम करने के लिए राष्ट्रपति की सहमति जरूरी है। राष्ट्रपति आमतौर पर मंत्रियों की सलाह सुनते हैं और केंद्र सरकार तय करती है कि बिल वास्तविक कानून बनेगा या नहीं। तृणमूल कांग्रेस भाजपा नामक एक अन्य पार्टी की खेल प्रतिद्वंद्वी है, जो केंद्र सरकार की प्रभारी है। इसलिए अब हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि अपराजिता विधेयक को मंजूरी मिलती है या नहीं!

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